अंजाना रिश्ता ......

दोस्तों,

हमारी वेदिका को कल हमने एस्कोर्ट्स में भरती करवाया।मासूम सी यह नन्ही जान न जाने कितनी और तकलीफ उठाएगी। हमारी इस मुसकील घड़ी में बहुत से लोगों ने एक घजब का प्रोत्साहन दिया है।

निकोल, टेरेसा, सपना, रेबेक्का, तोडी, हिमिका, सोहिनी, ..... न जाने ये लोग, जीने हम ढंग से शायद जानते भी नही...... कहाँ से फरिस्तेय की तरह निकल आए हैं।

हमारी ज़िंदगी की अंजान गाँठ, कुछ अंजान दोस्त खोलने की कोशीस कर रहें हैं।

राजू

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