किसी ने खूब कहा है की देशप्रेम से बढ़ कर शायद ही कोई धर्म हो जो मर मिटने लायक हो। पर दोस्तो में कई बार एक असंजस में पड़ जाता हूँ। आख़िर क्या है ये देशाप्रेम? क्या ये कुछ मूल्य है भी या यूं ही नेताओ का दिल बहलाने का साधन जिससे ये लोग आप और हम जेसो को ऊलू बनाते है। आज वक्त और समाज देश की सीमाओ को तोड़ता हुआ सभी क्षितिज को बारीक़ करने पर तुले हुवे हैं। इंटरनेट प्रोद्योगिकी ने तो आन्तारास्त्रिया सीमाओ को बेमाना कर दिया हैं। तो फिर ये सैनिक, ये फौज, ये बंदरगाह , ये बेमौत मरे जाने वाले जवान, सरे एक सद्यंत्र में फसते मालूम पड़ते हैं। किसे फायदा होता हैं। समाज को ? नही । लोगोको ? नही? तो कौन होतो हैं खुस इन सीमाओ से?
दोस्तो मुजे नही मालूम देश प्रेम क्या हैं, किसे कहते हैं। हो सके तो समझाना जरूर।
जवाब की उमीद में
Raju

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